एक दिन वो मुझसे बात कर रहा था, यादों की बातें दोस्तो की बातें तमाम सारी बातें।
उसने कहां “कितना अजीब होता है न पहले यादों से भागना और फिर कुछ समय बाद उसी यादों को खुद में वापस ढूंढना। जीने के लिए, जीते जाने की उम्मीद के लिए”
मैने उसको सुना और सुनती रही,
मैं उससे कहना चाहती थी – “क्या तुमने कभी उन लोगो के बारे ने सोचा जिनको जीने के लिए यादें बनाने तक भी साथ रहने का समय नहीं मिला।
#Shachi