प्रेम का रामसेतु

तुम प्रेम में मुझे त्याग मत देना,
तुम देना अपना सम्पूर्ण समर्पण और हम नही उलझेंगे सांसारिकता में
तुम प्रेम में मेरे बाद किसी का चुनाव मत करना
जिसे तुम अपना अकेलापन दूर करने का कारण कहो
तुम प्रेम में हर बार मुझे चुनना…….
तुम प्रेम में मुझे ताज महल न देना,
जो किसी की मृत्यु का नुमाइश है,
तुम मुझे मत देना वो प्रतीक जिसके पीछे
मेरे बाद किसी और के होने का एहसास हो,
तुम प्रेम में मुझे रामसेतु देना,
जिसे लांघ कर लोग खत्म करते है सरहदों को,
प्राप्त करते है प्रेम को,…….कोई चुनाव नही करते प्रतिज्ञा करते है, अनन्त काल तक साथ होने के प्रमाण का।
तुम प्रेम में मुझे ताजमहल न बनाना…….
तुम प्रेम में मुझे रामसेतु देना…………

Published by

Shachi

मैं शब्दों से घबराती हूँ ।

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